Tuesday, September 22, 2009

मध्यप्रदेश को दस वर्षों में झुग्गी मुक्त राज्य बनाया जायेगा-श्री गौर

नगरीय प्रशासन और विकास मंत्री श्री बाबूलाल गौर ने कहा है कि मध्यप्रदेश को आगामी दस वर्षों में झुग्गी मुक्त राज्य बनाया जायेगा। इसके लिये प्रदेश के 105 नगरों की विकास योजनाओं पर विचार किया जा रहा है। श्री गौर ने कहा कि स्थानीय शासन विभाग को सुदृढ़ करके राज्य में नये अतिक्रमण न हो इसके प्रयास शुरू से ही किये जायेंगे। श्री गौर आज यहां मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग के स्थापना दिवस पर आयोजित संगोष्ठी ' आश्रय का अधिकार ' के द्वितीय एवं समापन सत्र में बोल रहे थे। इस अवसर पर आयोग के अध्यक्ष जस्टिस श्री डी.एम.धर्माधिकारी, सदस्य द्वय जस्टिस श्री ए.के.सक्सेना और विजय शुक्ल, पूर्व आय.ए.एस. अधिकारी श्री महेश नीलकंठ बुच, प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन और विकास विभाग श्री राघवचन्द्रा, प्रमुख सचिव आवास एवं पर्यावरण विभाग श्री आलोक श्रीवास्तव तथा आयोग के प्रमुख सचिव श्री राकेश अग्रवाल विशेष रूप से उपस्थित थे।

श्री गौर ने कहा कि बड़े उद्योगों की स्थापना के कारण ग्रामीण और कुटीर उद्योगों में कार्यरत मजदूर बेरोजगार हुये हैं, इस कारण बड़ी संख्या में लोगों का शहरों की और पलायन बढ़ा है। उन्होंने कहा कि भोपाल को आगामी दस वर्षों में झुग्गी मुक्त-आवासयुक्त शहर बनायेंगे। श्री गौर ने जानकारी दी कि निर्धन वर्ग के लोगों के लिये आसान किस्तों पर लगभग साढे तीन लाख रूपये मूल्य के मकान शहर के पांच किलोमीटर की पेरी-फेरी में बनाने की योजना पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने जानकारी दी कि केन्द्र सरकार की जेएनएनआरयूएम योजना के तहत झुग्गी बस्तियों के लोगों के पुर्नविस्थापन के लिये चार मंजिला भवनों का निर्माण कराया जा रहा है।  इस प्रकार भोपाल में वर्तमान में गंदी बस्तियों के लोगों के लिये 37 योजनाएं संचालित हैं।

जस्टिस श्री डी.एम.धर्माधिकारी ने कहा कि जीवन का अधिकार व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। यह अधिकार तब तक नागरिकों को नहीं मिल सकता तब तक उन्हें उनकी मूलभूत तीन आवश्यकताओं रोटी, कपड़ा और मकान की पूर्ति न हो पाती हो।  श्री धर्माधिकारी ने कहा कि नागरिकों को रोटी कपड़ा तो मिल जाता है लेकिन शहरीय क्षेत्रों में मकान नहीं मिल पाते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार और गृह निर्माण एजेंसियों को ऐसे प्रयास करने चाहिए जिससे समाज के सबसे बड़े मध्यम वर्ग को रियायती मूल्यों पर आश्रय की सुविधा उपलब्ध हो सके।

पूर्व आय.ए.एस. अधिकारी श्री एम.एन.बुच ने कहा कि झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों का वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल नहीं होना चाहिये। यहां पर रहने वाले लोगों को उनके रोजगार स्थल के आसपास ही बेहतर बुनियादी सुविधाओं वाले मकान दिये जाने चाहिये। श्री बुच ने कहा कि जब तक सहकारिता और आवास निर्माण के क्षेत्र में ईमानदार कार्यकर्ता नहीं होंगे तब तक सरकार की आवास नीति ठीक ढंग से संचालित नहीं हो सकेगी। उन्होंने कहा कि केवल शहरों में ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी अन्यान्य सेवाओं के लिये तैनात शासकीय सेवाओं को जब तक वहां आवास सुविधा उपलब्ध नहीं होगी तब तक वे अपनी सेवाएं नहीं दे पायेंगे और इस प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में शासन द्वारा उपलब्ध कराई जा रही जनपयोगी सेवा-सुविधाओं का स्तर अच्छा नहीं होगा।

 

प्रमुख सचिव श्री राघवचन्द्रा ने कहा कि अच्छी आवास सुविधा के अभाव में व्यक्ति में मानव सृजनशीलता का भाव पैदा नहीं होता है। उन्होंने कहा कि गृह निर्माण मंडल वर्तमान में भले ही बाजार दर पर मकान उपलब्ध करा पा रहा है लेकिन यह निजी क्षेत्र के रीयल स्टेट बाजार में प्रतिस्पर्द्धा करने वाली एजेंसी होने के कारण मकानों के मूल्यों को स्थिर रखने वाली एक एजेंसी भी सिद्ध हुई है। उन्होंने जानकारी दी कि देश में आर्थिक दृष्टि से कमजोर और निम्न आय वर्गों के लोगों के लिये ढाई करोड़ मकानों की जरूरत है। श्री राघवचन्द्रा ने संगोष्ठी में राज्य और केन्द्र सरकार द्वारा बनाई जा रही आवास निर्माण योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी।

प्रमुख सचिव श्री आलोक श्रीवास्तव ने कहा कि भोपाल के मास्टर प्लान पर आपत्तियां बुलाई गई हैं और उस पर गहन विचार विमर्श जारी है। लेकिन सिद्धांतत: शहरी क्षेत्रों के विकास योजनाओं में गरीबो की आवास योजनाओं को भी स्थान मिलना चाहिये। उन्होंने कहा कि मास्टर प्लान पर समग्र विचार विमर्श के लिये जन सामान्य को सुनवाई का अवसर दिया जायेगा। श्री श्रीवास्तव ने आंध्रप्रदेश में संचालित इंदिराम्मा आवास योजना का उल्लेख करते हुये कहा कि मध्यप्रदेश में भी उसी पैटर्न पर आगामी कुछ वर्षों में निर्धन वर्ग के परिवारों के लिये तीन हजार मकान बनाने की योजना पर अमल किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आंध्रप्रदेश में वहां की सरकार प्रतिवर्ष करीब चार हजार करोड़ रूपये का प्रावधान करती है। मध्यप्रदेश में भी संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर बड़ी संख्या में आवास निर्माण का कार्य हाथ में लेने की योजना पर विचार चल रहा है। उन्होने बताया कि मध्यप्रदेश में वर्तमान में 32 लाख आवासहीन परिवार हैं। श्री श्रीवास्तव ने कहा कि केन्द्रीय योजनाओं तथा बैंकों से ऋण प्राप्त करके गरीब आवासहीन परिवारों के लिये शहरीय क्षेत्रों में साढ़े तीन से चार लाख रूपये के मूल्य के मकान बनाने की योजना विचाराधीन है। ये मकान हितग्राहियों को रियायाती ब्याज दरों और आसान किश्तों पर आवंटित करने का प्रस्ताव है।

सत्र में समूह चर्चा के दौरान प्रो जमीरउद्दीन ने गांवों में सेवारत शासकीय सेवकों और पुलिस कर्मियों को सरकारी आवास आवंटित करने की जरूरत बताई। मध्यप्रदेश गृह निर्माण मंडल के आयुक्त श्री वसीम अख्तर ने जानकारी दी कि मंडल को बाजार दर पर ही जमीन मिलती है इसलिये वह शहरीय क्षेत्रों में बाजार दर पर ही मकान बेच पाते हैं। एनजीओ श्री अजय दुबे ने कहा कि शहरों में धनवान लोगों को शासकीय गृह निर्माण एजेंसियों द्वारा एक से अधिक मकान नहीं दिये जाने चाहिये। आयोग के पुलिस महानिरीक्षक श्री पी.के.रूनवाल ने कहा कि आवासीय जमीन का व्यवसायिक उपयोग न हो इसके लिये राष्ट्रीय स्तर पर सख्त कानून बनाने की जरूरत है। श्री बुच ने गृह निर्माण एजेंसियों को भविष्य की आवासीय योजना के लिये ' भूमि बैंक' बनाने की जरूरत बताई। अंत में आयोग के सदस्य जस्टिस श्री ए.के.सक्सेना ने कहा कि आवास योजनाएं व्यवहारिक हों तथा ईमानदारी से क्रियान्वित होना चाहिये। उन्होंने कहा कि समय रहते जनसंख्या पर नियंत्रण नहीं किया गया तो आवास की समस्या जस की तस रहेगी। उन्होंने कहा कि योजनाओं के अमल में दूरदृष्टि बहुत आवश्यक है। आभार प्रदर्शन आयोग के प्रमुख सचिव श्री राकेश अग्रवाल ने किया। कार्यक्रम का संचालन उप सचिव श्री कुलदीप जैन ने किया।

By :  News Team

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